हर 20 दिन काम पर 1 दिन छुट्टी, अप्रैल 2025 से श्रम संहिताओं में ऐतिहासिक बदलाव

अप्रैल 2025 से भारत के 50 करोड़ से अधिक श्रमिकों की जिंदगी बदलने वाली है। श्रम मंत्रालय ने चार नए श्रम संहिता कोड्स को लागू करने की घोषणा की है — जिसमें श्रम संहिता कोड्स (2019-2020) शामिल हैं। इनका सबसे बड़ा बदलाव? हर 20 दिन काम करने पर 1 दिन की सवैतनिक छुट्टी। पहले इसके लिए 240 दिन काम करना जरूरी था। अब ये नियम ठेका श्रमिक, मौसमी मजदूर, प्रवासी कामगार — सबके लिए लागू होगा। ये सिर्फ छुट्टी नहीं, एक नए अधिकार की शुरुआत है।

ग्रेच्युटी और ओवरटाइम: जो बदल गया वो बहुत बड़ा है

पहले कर्मचारी को ग्रेच्युटी पाने के लिए 5 साल की सेवा करनी पड़ती थी। अब बस एक साल काम कर लो, और आपका हक हो गया। टैक्स-फ्री ग्रेच्युटी की सीमा भी 10 लाख से बढ़कर 20 लाख रुपये हो गई है। एक कर्मचारी जो 5 साल तक काम करता है, अब हर साल 15 दिन के वेतन के बराबर ग्रेच्युटी पाएगा — पहले ये भी अलग तरह से गणना होती थी।

ओवरटाइम के नियम भी बदल गए। अब किसी भी श्रमिक से दिन में 8 घंटे और सप्ताह में 48 घंटे से ज्यादा काम नहीं लिया जा सकता। लेकिन एक छूट है: अगर श्रमिक सहमत हो, तो 4 दिन के सप्ताह में रोज 12 घंटे, 5 दिन में 9.5 घंटे, या 6 दिन में 8 घंटे काम किया जा सकता है। और ये जो अतिरिक्त घंटे हैं? दोगुना वेतन। ये नियम खासकर निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए एक बड़ा लाभ है — जो अब अपनी मेहनत का असली मूल्य पा सकते हैं।

महिलाओं के लिए नए अधिकार: मातृत्व और स्वास्थ्य का नया दृष्टिकोण

महिला कर्मचारियों के लिए ये बदलाव बहुत गहरे हैं। मातृत्व अवकाश 26 सप्ताह (6 महीने) तक बढ़ा दिया गया है — ये दुनिया के बेहतरीन नियमों में से एक है। पुरुष कर्मचारियों को अब पैटर्निटी अवकाश के रूप में 15 दिन की छुट्टी मिलेगी। ये सिर्फ एक छुट्टी नहीं, ये एक सामाजिक संदेश है: पितृत्व भी जिम्मेदारी है।

और ये नया नियम दिलचस्प है: महिला कर्मचारियों के आश्रितों में अब सासुमां भी शामिल हैं। पहले ये बाहर थीं। अब उनकी चिकित्सा खर्च भी कंपनी के लिए जिम्मेदारी बन गई है। इसके अलावा, ₹3,500 तक का मेडिकल बोनस भी मिलेगा। अब बागान कर्मी, घरेलू कर्मचारी, और असंगठित क्षेत्र की महिलाएं भी ईएसआईसी की सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगी।

असंगठित क्षेत्र के लिए जीवन बदलने वाला कदम

असंगठित क्षेत्र के लिए जीवन बदलने वाला कदम

भारत के श्रम बल का 90% हिस्सा असंगठित क्षेत्र में काम करता है। ये लोग अक्सर बिना लिखित अनुबंध, बिना छुट्टी, बिना ग्रेच्युटी के काम करते हैं। अब ये सब बदल रहा है। डॉ. राजीव मल्होत्रा, दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रम अध्ययन विभाग के प्रोफेसर, कहते हैं: "ये कोड्स एक समग्र दृष्टिकोण हैं। जब एक मौसमी मजदूर 180 दिन काम कर लेता है, तो उसे छुट्टी मिलनी चाहिए — ये न्याय है।"

अब ठेकेदारों को भी अपने कर्मचारियों के लिए अवकाश, ओवरटाइम और स्वास्थ्य सुविधाएं देनी होंगी। ये नहीं कि वो अपने काम को छिपाएंगे। अब एक स्थायी नौकरी और एक ठेका नौकरी के बीच अंतर धुंधला हो रहा है। ये श्रम बाजार में पारदर्शिता लाने का सबसे बड़ा प्रयास है।

अगले 41 दिन: राज्यों की जिम्मेदारी और कंपनियों की चुनौती

ये नियम अप्रैल 2025 से लागू होंगे, लेकिन अभी बाकी हैं 41 दिन। इस दौरान, श्रम मंत्रालय विस्तृत नियम जारी करेगा। हर राज्य को अपने श्रम कानूनों को इन कोड्स के अनुसार अपडेट करना होगा। नहीं तो ये नियम अधूरे रह जाएंगे।

कंपनियों के लिए ये चुनौती है। कुछ भत्ते अब बेसिक सैलरी में शामिल होंगे — जिससे टैक्स और प्रोविडेंट फंड की कटौती बढ़ सकती है। कुछ कंपनियां टेक-होम सैलरी में कमी कर सकती हैं। लेकिन ये सिर्फ एक शुरुआत है। जो अब भुगतान करेंगे, वो भविष्य में कम झगड़े, कम बदलाव, और ज्यादा विश्वास पाएंगे।

स्वास्थ्य और न्याय: एक नया आधार

स्वास्थ्य और न्याय: एक नया आधार

हर कर्मचारी को अब मुफ्त वार्षिक स्वास्थ्य जांच का अधिकार मिलेगा। ये नियम खासकर उन लोगों के लिए जीवन बचाने वाला है, जो अपनी बीमारी को अनदेखा कर देते हैं क्योंकि खर्च नहीं होता। अब ये जांच एक अधिकार बन गई है — जैसे वेतन या छुट्टी।

ये संहिताएं केवल कानून नहीं हैं। ये एक सामाजिक समझौता है: काम करने वाला इंसान बस एक साधन नहीं, बल्कि एक अधिकारी है। जब एक महिला बागान में काम करती है और उसे मातृत्व अवकाश मिलता है — तो वो बस एक कर्मचारी नहीं, एक माँ बन जाती है। जब एक प्रवासी मजदूर अपने घर जाने के लिए छुट्टी लेता है — तो वो बस एक मजदूर नहीं, एक इंसान बन जाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या ये नियम सभी कर्मचारियों के लिए लागू होंगे?

हाँ, ये नियम सभी कर्मचारियों के लिए लागू होंगे — चाहे वो संगठित क्षेत्र के हों या असंगठित। ईएसआईसी कवरेज अब सभी श्रमिकों के लिए विस्तारित है, जिसमें बागान मजदूर, घरेलू कर्मचारी और ठेकेदार शामिल हैं। एकमात्र अपवाद अत्यंत छोटे उद्यम हैं, जिनकी संख्या 10 से कम है।

क्या ग्रेच्युटी अब तुरंत मिल जाएगी?

नहीं, ग्रेच्युटी का भुगतान तभी होगा जब कर्मचारी नौकरी छोड़े, निवृत्त हों या मर जाएं। लेकिन अब ये अधिकार 1 साल के बाद से शुरू हो जाता है। यानी अगर आप 1 साल बाद नौकरी छोड़ दें, तो आपको पूरा ग्रेच्युटी बकाया मिलेगा — जो पहले असंभव था।

महिलाओं के लिए नए नियम कैसे लागू होंगे अगर कंपनी छोटी है?

छोटी कंपनियों के लिए भी ये नियम लागू हैं। लेकिन ईएसआईसी के तहत, स्वास्थ्य और मातृत्व लाभ राज्य सरकारों के साथ साझा किए जाएंगे। यानी अगर आपकी कंपनी 10 से कम कर्मचारियों के साथ काम करती है, तो आप अपने लिए ईएसआई की जांच और बीमा के लिए राज्य केंद्रों का उपयोग कर सकते हैं।

क्या ओवरटाइम वेतन कम हो सकता है?

नहीं। ओवरटाइम के लिए दोगुना वेतन अब कानूनी रूप से अनिवार्य है। कोई भी कंपनी इसे नहीं छिपा सकती। अगर कोई श्रमिक इसका दावा करे, तो श्रम अधिकारी तुरंत जांच करेंगे। ये नियम बेहद सख्त है — और इसकी निगरानी भी डिजिटल सिस्टम के जरिए होगी।

क्या ये नियम राज्यों के लिए अनिवार्य हैं?

हाँ, ये नियम राज्यों के लिए भी अनिवार्य हैं। श्रम मंत्रालय ने सभी राज्यों को अपने श्रम कानूनों को अपडेट करने के लिए 41 दिन का समय दिया है। अगर कोई राज्य नहीं करता, तो केंद्र सीधे इन नियमों को लागू कर सकता है। ये एकरूपता के लिए एक ऐतिहासिक कदम है।

क्या ये बदलाव नौकरी कम कर देंगे?

कुछ कंपनियां शुरुआत में लागत बढ़ने के डर से नौकरियां कम कर सकती हैं। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय में ये नियम उत्पादकता बढ़ाएंगे। जब कर्मचारी आराम से काम करेंगे, तो उनकी लगन बढ़ेगी। ये एक लंबी जीत है — न कि एक तुरंत कटौती।