जब बिंदाल शुगर मिल, चंगिपुर ने बेस्ट शुगर इंडस्ट्री एक्सलेंस अवार्डबहारत मंडप, दिल्ली हासिल किया, तो पूरे देश में चर्चाएँ छा गईं। यह सम्मान केवल एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि दो साल में उन्नत तकनीकों का उपयोग करके उद्योग में बनाए गए एक झवेले की कहानी को दर्शाता है।
समारोह रविवार, 15 सितंबर 2024 को बहारत मंडप, दिल्ली में आयोजित हुआ। स्वागत में नितिन गडकरी, केंद्रीय राजमार्ग एवं राजमार्ग परिवहन मंत्री ने उद्घाटन संबोधन दिया। मुख्य पुरस्कार हरिश्चंद्र पाटिल, नेशनल शुगर फेडरेशन के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री, और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री जयंत राजाराम पाटिल ने प्रस्तुत किए।
उपस्थिति में कई उद्योग नेताओं, राज्य के अधिकारी और मीडिया प्रतिनिधि शामिल थे। मंच पर धूमधाम के साथ बिंदाल शुगर मिल के प्रबंधन ने अपनी यात्रा को कहानियों के रूप में पेश किया, जिससे दर्शकों को सप्लाई चेन, टैक्टिकल इनोवेशन और सामाजिक जिम्मेदारी की एक झलक मिली।
भले ही मिल ने 2022 में औपचारिक रूप से संचालन शुरू किया, लेकिन दो साल में इसने ऐसा प्रदर्शन किया जो दशक‑पुराने बड़े प्लांट्स को भी पीछे छोड़ दे। शिवक बिंदाल और संस्कार बिंदाल, दोनों ही मैनेजिंग डायरेक्टर्स ने कहा, “हमने पहले साल में उत्पादन क्षमता को 1.2 मिलियन टन तक पहुंचाया, जबकि लक्ष्य 0.9 मिलियन टन था।” इस उछाल के पीछे प्रमुख कारक थे:
साथ ही, मिल ने स्थानीय किसानों को समय पर भुगतान करके सामाजिक स्थिरता भी हासिल की। एक किसान ने बताया, “पहले किचन में बजट नहीं चल पाता था, अब हम हर महीने दो बार भुगतान पाते हैं, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति सुधरी है।”
बिंदाल समूह ने सेवन इफेक्ट कॉन्सेप्शन की अत्याधुनिक तकनीक अपनाई। इस तकनीक के छह प्रमुख प्रभाव हैं – कच्चा माल का न्यूनतम अपशिष्ट, ऊर्जा दक्षता, उत्पादन की गति, गुणवत्ता नियंत्रण, पर्यावरणीय संरक्षण और लागत में कटौती। इन प्रभावों को मिली‑जुली टीम ने लगातार मापते रहे। पवन गुप्ता, जनरल मैनेजर प्रोडक्शन ने कहा, “सेवन इफेक्ट कॉन्सेप्शन ने हमारी ऊर्जा खपत को 15% घटा दिया, जबकि उत्पादन में 10% वृद्धि हुई।”
तकनीकी बदलावों के साथ, मिल ने AI‑आधारित प्रेडिक्टिव मैनेजमेंट भी अपनाया, जिससे मशीन‑डाउntime में 20% कमी आई। यह सब मिल के साल‑दर‑साल के ग्रोथ ग्राफ़ में साफ‑साफ दिखता है:
डेटा बिंदु स्पष्ट है – तकनीक ने न सिर्फ आउटपुट बढ़ाया, बल्कि लाभप्रदता को भी शिल्पाकारी की तरह तराशा।
नेशनल शुगर फेडरेशन के अध्यक्ष हरिश्चंद्र पाटिल ने कहा, “बिंदाल शुगर मिल ने यह सिद्ध किया कि छोटे‑से‑मध्यम प्लांट्स भी, अगर सही तकनीक अपनाएँ, तो बड़े प्रतियोगियों को पीछे छोड़ सकते हैं।” महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री जयंत राजाराम पाटिल ने प्रदेश में इस मॉडल को दोहराने की इच्छा व्यक्त की।
केंद्रीय सरकार ने भी इस उपलब्धि को “सस्टेनेबल एग्री‑इंडस्ट्री” के एक बेहतरीन उदाहरण के रूप में मान्यता दी। एक स्रोत ने बताया, “सरकार के अगले बजट में इस तरह की तकनीकों को प्रोत्साहन देने के लिए विशेष प्रावधान रखे जा सकते हैं।”
बिंदाल समूह ने बताया कि अगले दो वर्षों में मिल का उत्पादन 1.5 मिलियन टन तक ले जाना लक्ष्य है। इसके लिए वे सेवन इफेक्ट कॉन्सेप्शन के नए मॉड्यूल – “इंटेलिजेंट वेटर रीसायक्लिंग सिस्टम” को जोड़ेंगे, जिससे जल उपयोग में 25% और कमी आएगी।
यदि यह योजना सफल हुई, तो भारतीय शुगर उद्योग को 2028‑2030 तक लगभग 3% की ऊर्जा बचत और 4% की लागत कटौती मिल सकती है। इस प्रकार, बिंदाल शुगर मिल की कहानी न केवल एक कंपनी की जीत है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर एक नयी दिशा का परिचायक भी बन सकती है।
मुख्य रूप से चंगिपुर के स्थानीय किसानों को लाभ मिलेगा, क्योंकि मिल ने समय पर भुगतान और बेहतर दरें अवरुद्ध कर दी हैं। साथ ही, उद्योग के अन्य मध्यम आकार के उद्यम भी इस मॉडल को अपनाकर उत्पादन बढ़ा सकते हैं।
सेवन इफेक्ट कॉन्सेप्शन एक समग्र प्रक्रिया है जो कच्चा माल, ऊर्जा, अपशिष्ट, उत्पादन गति, गुणवत्ता, पर्यावरणीय प्रभाव और लागत को एक साथ ऑप्टिमाइज़ करती है। AI‑आधारित सेंसर्स और रीयल‑टाइम डेटा एनालिटिक से यह प्रभाव लागू होता है।
सरकार ने बिंदाल शुगर मिल की प्रगति को “सस्टेनेबल एग्री‑इंडस्ट्री” के उदाहरण के रूप में सराहा है। स्रोतों के अनुसार, अगले बजट में ऐसी तकनीकों को प्रोत्साहन देने के लिए विशेष सब्सिडी और टैक्स रिवेटी योजना लाने की संभावना जताई गई है।
मिल ने अगले दो वर्षों में उत्पादन को 1.5 मिलियन टन तक बढ़ाने और जल उपयोग को 25% कम करने का लक्ष्य रखा है। इस दिशा में अतिरिक्त निवेश और नई तकनीकी साझेदारियों की योजना है।