निराश? इन आसान कदमों से बदलें अपना मूड

हर कोई कभी‑न-कभी निराश होना महसूस करता है। काम का दबाव, रिश्तों में उलझन या बस दिन‑रात की थकान—इन सबसे मन उदास हो सकता है। लेकिन निराशा को एक बार पहचान कर सही कदम उठाएँ तो वही भावना जल्दी ही दूर हो सकती है। नीचे पाँच‑सात सरल उपाय हैं जो रोज़मर्रा की जिंदगी में लागू किए जा सकते हैं।

क्यों महसूस होता है निराशा?

निराशा तब आती है जब हम अपनी उम्मीदों और वास्तविकता के बीच बड़ा अंतर देखते हैं। लक्ष्य बहुत ऊँचे होते हैं, लेकिन प्रगति धीमी लगती है। अक्सर हम खुद को दूसरों से तुलना करते हैं और सोचते हैं कि हम पीछे हैं। यह मानसिक गड़बड़ी हमारे दिमाग में नकारात्मक लूप बनाती है। समझिए कि यह भावना अस्थायी है, और हम इसे बदल सकते हैं।

निराशा से बाहर निकलने के ठोस कदम

1. गहरी सांस लें – पाँच सेकंड तक नाक से गहरी सांसें लेकर, फिर धीरे‑धीरे मुँह से छोड़ें। दो‑तीन बार दोहराने से दिमाग शांत होता है और शरीर में तनाव कम होता है।

2. छोटी‑छोटी जीत मनाएँ – दिन में एक से दो छोटी‑छोटी चीज़ें लिखें जो आप कर पाए। चाहे वह सुबह उठकर पानी पीना हो या काम में छोटा‑सा लक्ष्य पूरा करना। ये छोटे‑छोटे पॉइंट्स आपका आत्म‑विश्वास बढ़ाते हैं।

3. किसी से बात करें – अपना मन किसी भरोसेमंद दोस्त या परिवार के सदस्य को खोलें। बिना किसी फ़िल्टर के अपनी भावनाएँ बताने से दिमाग में जमा दबाव कम होता है। अगर बात करने में हिचकिचाहट है, तो लिखित रूप में भी अपनी भावनाएँ व्यक्त कर सकते हैं।

4. शारीरिक एक्टिविटी – पाँच मिनट की तेज़ चलने, जॉगिंग या स्ट्रेचिंग से रक्त संचार बढ़ता है और एंडॉर्फिन रिलीज़ होते हैं, जो स्वाभाविक रूप से मूड को बेहतर बनाते हैं।

5. कृतज्ञता का अभ्यास – रात को सोने से पहले तीन ऐसी बातें लिखें जिनके लिए आप आभारी हैं। यह अभ्यास दिमाग को नकारात्मक सोच से बाहर निकालकर सकारात्मक पर फोकस करवाता है।

6. समाचार और सोशल मीडिया सीमित करें – बड़े‑बड़े नकारात्मक समाचार या लगातार स्क्रॉल करने से मन में भ्रम और निराशा बढ़ती है। एक निर्धारित समय तय करें और बाकी समय को किताब, संगीत या शौक में लगाएँ।

7. प्रोफेशनल मदद लें – अगर निराशा कई हफ्तों से बनी हुई है, रोज़मर्रा के काम में बाधा बन रही है, या सोने‑जाने में समस्या हो रही है, तो मनोवैज्ञानिक या काउंसलर से मिलें। पेशेवर सलाह अक्सर तेज़ी से सुधार लाती है।

इन कदमों को आज़माते समय धीरज रखें। बदलाव एक‑एक दिन में नहीं, बल्कि लगातार दोहराने से आता है। याद रखें, निराशा एक अस्थायी भावना है, और आप इसे जीतने की ताकत रखते हैं। बस छोटा‑सा कदम उठाएँ, और धीरे‑धीरे अपना मन फिर से खुशियों से भर जाएगा।

भारत में लोगों क्यों 'Being Indian' पर निराश हैं?
मार्च 1, 2023

भारत में लोगों क्यों 'Being Indian' पर निराश हैं?

अभिनव बहुगुण
द्वारा अभिनव बहुगुण

भारतीयता एक सशक्त, समृद्ध और संस्कृतियुक्त राष्ट्र है। हालांकि, अनेक लोगों को लग रहा है कि वे अपने देश के प्रति अपने भारतीय संबंधों को पुनर्गठित करने में असमर्थ हैं। इस पर्यावरण में, लोग अपने देश और संस्कृति पर स्वयं को निराश करते हैं। यह भारतीय सिविलिज़्म की एक गंभीर समस्या है। वे अपने आप को अप्रत्याशित और अनुचित समझते हैं, और इसे सुधारने के लिए अपने देश को 'Being Indian' के साथ पुनर्गठित करने की आवश्यकता होती है।

जारी रखें पढ़ रहे हैं